Monday, December 21, 2009

तीर-ए-सादगी..




...

"चाहत के रंग बिखेरते जाते हो..
ख़्वाबों में फ़क़त आते-जाते हो..१

महबूब हैं..पढ़ लिया हाल-ए-दिल..
हर नफ्ज़ रूह में पनपते जाते हो..२

जज्बातों को रौशन कर देगा साया..
जुल्फों से पलकें झपकाए जाते हो..३

वजूद समेट..खुद को भूलाये बैठे हैं..
खबर नजाकत से..लिखते जाते हो..४..!"

...

0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..: