Saturday, February 27, 2010

'अक्स..'


...

"खूं से सना था..
माज़ी-ए-खंज़र..
अफ़साने भी लिपटे थे..
आगोश में कुछ..
मयखाने में बिखरी थीं..
आहें भी कुछ..
जज़्बा-ए-मोहब्बत..
दुरुस्त हुआ जाता है..
मिलता हूँ..
अपने अक्स से जब-जब..!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

Mithilesh dubey said...

आपको होली की बहुत-बहुत बधाई ।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!