Monday, February 15, 2010

'जाम..'


...

"नासूर कुछ..
छुपा रखे हैं..
अब तलक..

अश्क कुछ..
चिपका रखे हैं..
अब तलक..

जाम टकराते हैं..
वाईज़ कई..

छलकाना उल्फत..
इतनी तबियत..
सबकी नहीं..!"

...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Unknown said...

सरल और सादी भाषा में जीवन के गूढ़ अनुभव को अभिव्यक्त करने के लिए आपकी लेखनी बधाई की पात्र है

अत्यंत अच्छा लगा बाँच कर............अभिनन्दन !

www.albelakhatri.com

Udan Tashtari said...

बढ़िया.

Dev said...

बहुत खूब

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद albelakhatri जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद देवेश प्रताप जी..!!