Friday, April 30, 2010

'मैहर-ए-खुदा..'


...

"करके लौटे हैं..
इक सफ़र..
पा सका ना..
वो नज़र..
कब होंगी पूरी..
तलाश मेरी..
कब होंगी दूर..
तन्हाई मेरी..

मशाल सबब..
ईमां हौसला..
सांच दमखम..
मैहर-ए-खुदा..
कर लूँगा..
हासिल हर कूचा..!!"

...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Amitraghat said...

वाह! बेहतरीन ......."

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अमित्रघट जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुमन जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलीप जी..!!