Tuesday, May 11, 2010

'तस्सवुर..'


...

"साँसों की डोर से बांधे..
रिश्ते कई..
एहसास कई..
निकले अरमान..
तस्सवुर से जब..
ना बची ख्वाईश कोई..!"


...

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में