Wednesday, May 26, 2010

'खज़ाना-ए-दिल..'




...

"दफ़ना आया हूँ..
वजूद..
रोज़-रोज़ की दलीलों ने..
ऐवें ही..
खज़ाना-ए-दिल..
बेज़ार किया..!!"

...

13 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Unknown said...

गागर में सागर भर दिया........सराहनीय आकर्षक प्रस्तुति।

माधव( Madhav) said...

really soothing

kunwarji's said...

WAAH!
GOTHIYAAL JI NE SAHI KAHA..

KUNWAR JI,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत.....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उम्मेद जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद माधव जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद कुंवर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर......

Ra said...

कम शब्दों में गहरी बात कहना ,,,,,,गज़ब का अंदाज़ होता है ,,,यहाँ वही दिखा ....बधाई स्वीकारे ////!!! http://athaah.blogspot.com/

Ra said...

शब्दों के इस सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राजेंद्र मीणा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद महफूज़ अली जी..!!