Friday, August 6, 2010

'यादों की पुरवाई..'


...

"चाय की चुस्कियों में..
डुबो गम की डली..
हर नफ्ज़ तैरती..
नज्मों की कली..
खुशबू जिस्म की..
करती खलबली..
अजीब मंज़र गिरफ्त..
कसती चली..
यादों की पुरवाई..
फ़क़त..मनचली..!!"

...

0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..: