Wednesday, November 3, 2010

'महबूब की परछाई..'


...

"गूंजे है..मेरे आँगन शहनाई..
वादियों में..महबूब की परछाई..
काश..रंग लाये ये रुबाई..
रूमानी हो जाये.. उनकी अंगड़ाई..!!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anonymous said...

अच्छी पंक्तियाँ...
आपको और आपके परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं..
मेरे ब्लॉग पर इस बार संगीता जी की रचना..
सुनहरी यादें :-३ ...

संजय भास्‍कर said...

आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेखर सुमन जी..!!