Friday, November 26, 2010

'लिहाफ़ के दरख्त..'



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"लिहाफ़ के दरख्त पर खुदा था..
रूह की ज़मीं पर सजा था..
सुर्ख आहों पर..मेरे महबूब की..
अदाओं का नगीना जड़ा था..!!"


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1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

गजब कि पंक्तियाँ हैं ...