Saturday, December 4, 2010

'दम-साज़..'




एक बहुत पुरानी रचना अपने पुराने रंग में प्रस्तुत है..


...


तुम रस-भरी सौगात..
जीवन की मिठास..

दर-ब-दर ढूँढता रहा..
फ़क़त तेरा लिबास..

कोई तुझ-सा कहाँ..
जगा जाए जो एहसास..

तुम सुबह-सी उजली..
शाम-सी ख़ास..

क्या बनोगी तुम..
मेरी दम-साज़..!"


...


8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anonymous said...

वाह प्रियंका जी बहुत खूब....
हर एक पंक्ति लाजवाब है....


पहचान कौन चित्र पहेली ...

kulvender sufiyana aks said...

सुन्दर भाव से भरा हुआ काव्य है|मेरी शुभकामनाये..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेखर सुमन जी.!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद कुलवेंदर सूफियाना अक्स जी.!

वीना श्रीवास्तव said...

मैं पहली बार आपके ब्लॉग पर हूं। रचना बहुत ही अच्छी लगी....

http://veenakesur.blogspot.com/

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वीना जी..!!

Omi said...

lemme ask u.... propose kise kar rahi hain aap????

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ओमी दादा.!!