Monday, December 20, 2010

'काश..'


...


"काश..
लम्हों को समेट सकते..
काश..
गुज़रा वक़्त जी सकते..
कुछ 'काश'..
आकाश हो सकते..
काश..!!"


...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

निर्मला कपिला said...

काश ! ऐसा हो सकता। शुभकामनायें