Monday, November 29, 2010

'फूल हूँ..'


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"कभी मुझसे मिलने की ख्वाइश रखता है..
कभी मुझसे बिछड़ने की उम्मीद रखता है..

फूल हूँ..शूल नहीं..दामन मुझसे बचाओगे कैसे..!!"


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Saturday, November 27, 2010

'रूह का हिसाब..'


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"ढूँढता हूँ..
सेहरा की रौशनी में..
शहद की खुशबू में..
साहिल की दीवानगी में..
गुल की हरारत..
फिज़ा का गुंचा..
शब की चिंगारी..
रूह का हिसाब..

ना मर सकूँगा..
फिर..
तुझसे बिछड़ने की मौत..!"


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'इक दाद..'



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"उनकी इक दाद पर मिटा करते हैं..
उनके दीदार पर खिला करते हैं..
जो कह दें ना..बिखर जाएँ..
दीवानगी हर नफ्ज़ जीया करते हैं..!!"


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Friday, November 26, 2010

'भाषा..'

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"सत्य की परिभाषा..
जन-जन की अभिलाषा..

परियों समान विलुप्त..यह भाषा..!"

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'ख़लल..'


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"झुका हूँ जब भी तेरी आगोश में..
पाया है जन्नत का नज़ारा..
दफ्न कर दूँ..रूह को आज..
साँसों के धड़कने से ख़लल होती है..!"


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'लिहाफ़ के दरख्त..'



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"लिहाफ़ के दरख्त पर खुदा था..
रूह की ज़मीं पर सजा था..
सुर्ख आहों पर..मेरे महबूब की..
अदाओं का नगीना जड़ा था..!!"


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Tuesday, November 23, 2010

'स्मरण..'



ऋणी हूँ..अपने माँ-बापू जी की..जिन्होंने जीवन का हर पाठ पढ़ाया और चलना सिखाया....


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"बंधी डोर जिस क्षण..
हुआ पावन जीवन..
स्मरण रहेगा सर्वदा..
सींचा जो उपवन..!"

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Sunday, November 21, 2010

'मसरूफ़ियत के फ़साने..'


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"गुल सज़ाने हैं कई..
अश्क मंज़ाने हैं कई..१..

फ़क़त..जुर्म हैं साँसों का..
एहसास रज़ाने हैं कई..२..

शोखी निस्बत मौसम..
मसरूफ़ियत के फ़साने हैं कई..३..

नज़रें बेज़ुबां..सिरहन बेनक़ाब..
अदा के खज़ाने हैं कई..४..

क़त्ल-ए-आम दरिया हुआ..
कुर्बानी के तहखाने हैं कई..५..

चिकने ग़म-ए-हिजरां..
रफ्ता-रफ्ता गलाने हैं कई..६..!!"


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'एहसासों का दरख्त..'


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"साँसों में मह्फूस रहा था..जो कभी..
जुस्तजू से आबाद बहा था..जो कभी..
तंग हो गयीं हैं एहसासों की दरख्त..
सच ही है..माज़ी ने कहा था जो कभी..!"


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Wednesday, November 17, 2010

'मूक पशुओं की सुनो पुकार..'

आज ईद पर अनगिनत मूक पशु-पक्षियों का क्रंदन हर ओर गूँज रहा है..दया और करुणा करें..अहिंसा का मार्ग अपनाएँ.. 'जियो और जीने दो'..!!


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"मूक पशुओं की सुनो पुकार..
करते क्रंदन..
भय व्याकुलता अशांति..
आज चहुँ ओर..
हुई व्याप्त है..

हिंसा के परमाणु बसे..
क्यूँ ह्रदय में..

प्रिय है जीवन उनको भी..
करो दान..
दो उनको 'अभयदान'..

विवेक का परिचय..
उदारता का हाव..
कृतज्ञ रहेंगे सदा..
फैलाओ करुणा भाव.!"


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Tuesday, November 16, 2010

'भावों के परिणाम..'


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"जीवन को उपलब्धि समझ..
करते हैं जो विवेक का उपयोग..
भावों के परिणाम रहते हैं जिनके भीतर..
बाँधते सदैव दुर्गति का ही बोध..!!"


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Saturday, November 13, 2010

'रूहानी रूह..'


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"एक जाल बुना था..
इर्द-गिर्द..
कुछ रूहानी रूह..
कूचा बसा गए..
जाम-ए-सुकूत..
छलका गए..
गहरा गए हो..
ज़मीं के आसमां पे..
फ़क़त..
भूला गए..
वजूद..!!"


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Wednesday, November 10, 2010

'सूनापन..'


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"नशे में गुज़रती रही शब..
लफ्ज़ उलझते रहे..
यादों की आहें..
वादियों की ज़ुबानी..
भूला सकूँगा क्या कभी..
इठलाती निगाहों का सूनापन..!!"


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'रूह में हरारत..'


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"निस्बत है मेरे दरख्त में..
आँसू हैं मेरी क़ैद में..
रुस्वां हुआ जिस दम..
रूह में हरारत..
साँसों में खलबली होगी..!!"


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Tuesday, November 9, 2010

'मुकुट सफलता के..'



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"चलते रहना..ए-राही..
रुकने से काँटे चुभते हैं..
आयें बाधाएँ हजारों..धैर्य रखना..
मुकुट सफलता के शूरवीरों पर जँचते हैं..!!"


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Monday, November 8, 2010

'रिश्तों की चादर..'


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"इकरार करते जाना..ज़रा..
इज़हार करते जाना..ज़रा..

बर्फीली हैं..रिश्तों की चादर इन दिनों..!"


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Sunday, November 7, 2010

'करुणा भर देना..'



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"अंतर्मन की पुकार..
सुन लेना..
हे प्रभु..
देखूँ कोई दीन-दुखी..
करुणा भर देना..!!"


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'जीवन-यापन के साधन..'




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"असीमित आकाश..
मुट्ठी भर धरती..
अनगिनत स्वप्न..
स्वच्छ आत्मा..

करुण संस्कार..
विशाल ह्रदय..
सेवामयी भाव..
अमृत वाणी..

पर्याप्त है..
जीवन-यापन के साधन..!!"


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Thursday, November 4, 2010

'काजल के पन्ने..'


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"बहुत उलझे है..
चाहत के साये..
थाम लेना..
काजल के पन्ने..
और..
यादों के पाये..!!"

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Wednesday, November 3, 2010

'महबूब की परछाई..'


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"गूंजे है..मेरे आँगन शहनाई..
वादियों में..महबूब की परछाई..
काश..रंग लाये ये रुबाई..
रूमानी हो जाये.. उनकी अंगड़ाई..!!"

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Monday, November 1, 2010

'तुमसे हैं.. निशां..'

समर्पित है..हमारे परम-प्रिय मित्र को..

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"उठे हैं..
लाखों सवाल..
चले हैं खंज़र..
हुआ है मलाल..
बेकाबू धड़कन..
आँखें नम..
ग़मगीन नज़ारे..
निकला है दम..

गुमगश्ता था..
संवारा तुमने..
बेसहारा था..
संभाला तुमने..

बरसे गर..
बादल-ए-नाउमीदी..
रेज़ा-रेज़ा..
होगा..
आशियाना-ए-रूह..

तुमसे हैं..
रौशन..
तुमसे हैं..
साँसें..
तुमसे हैं..
*आब-ए-बका-ए-दवाम..
तुमसे हैं..
#सुर्खी-ए-गुलशन..
तुमसे हैं..
निशां..!!"


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* आब-ए-बका-ए-दवाम = अंतहीन जीवन../Nectar that gives eternal life..
# सुर्खी-ए-गुलशन = बगीचे में फैले सुर्ख लाल रंग..