Tuesday, March 8, 2011

'दीदार..'




...


"मोहब्बत ज़ुबां से..
बयां हो..
कब चाहा था..
ज़मीं-ए-रूह..
फ़क़त..दीदार हो..
मेरे महबूब..
इनायत होगी..!!"


...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Yashwant R. B. Mathur said...

कम शब्दों में कुछ कहना आसान नहीं होता ...लेकिन आप अपनी बात बा खूबी कह देती हैं.

कोशिश कर रहा हूँ आपकी लेखनी से सीखने की.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... महबूब का दीदार हो तो मुहब्बत का जिक्र हो न हो ...