Saturday, April 2, 2011

'पुराने नगमे..'


...


"कुछ पुराने नगमे..
कुछ सूखे फूल..
कुछ भूली यादें..
कुछ प्यारे शूल..

वक़्त की पुरवाई ले आई..
आँगन की महकती खुशबू..
तन्हाई के आलम..

रिश्तों की चादर..
मसरूफ़ियत की दीवार..

क़ैद ज़हन में..
खतों के लिहाफ..


वो बारिश की बूँदें..
वो जज्बातों का काफिला..
वो चाँद की खामोशी..


जहां हैं रोशन..
गिल़ा नहीं कोई..
हिस़ाब पिछला चुका आया हूँ..
इस बारिश..!"


...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!