Wednesday, July 27, 2011

'आजादी की जंजीरें..'




...


"क्या कहें उनसे..
जानते हैं हाल-ए-दिल जो..

चूर हुए कुछ ख्वाब..
तो पाया उन्हें..

आजादी की जंजीरें..
बंदिशों की रिवायतें..

ना बाँध सकेंगी..
कभी..
मेरी रूह..
मेरी आरज़ू..
मेरी चाहत..
मेरी दोस्ती..!!"


...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Rakesh Kumar said...

खूबसूरत भाव ,सुन्दर अभिव्यक्ति.
भाव जगत की आपकी उडान अदभुत और
निराली है.

विभूति" said...

सच में भावाये क्या कभी बांध पायी है....super....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!