Sunday, July 17, 2011

'कूचा-ए-साकी..'




...



"ना सफ़र तय हुआ..
ना मिली रूह को *तस्कीन..
मैं अवारा..
दर-ब-दर..
कूचा-ए-साकी..
तलाशता रहा..!!"


...



*तस्कीन = आराम/सुकून..

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विभूति" said...

आप बहुत कम शब्दों में बहुत गहरी बात कहने का हुनर रखती है .....बहुत खुबसूरत...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!