Saturday, August 20, 2011

'महफ़िल-ए-संग..'




...


"टकराती है..
महफ़िल-ए-संग से..
यादों के साये..

यूँ ही नहीं मिलते..
साहिल पे शंख..
हर रोज़..!!!"

...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

प्रियंका ...साहिल पे शंख का इंतज़ार मत करो...गहरे में उतर कर मोती ढूंढ लाओ

विभूति" said...

बहुत खूब.....

Rakesh Kumar said...

क्या बात है,प्रियंका जी.
निराला अंदाज है आपकी प्रस्तुति का.
लगता है 'निधि टंडन जी' ने तो
मोती ढूंढ निकाले हैं.

मेरी नई पोस्ट पर आईयेगा.

priyankaabhilaashi said...

धनयवाद राकेश कुमार जी..!!

संजय भास्‍कर said...

वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा...प्रियंका जी.

....मेरी नई पोस्ट पर आईयेगा.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

Udan Tashtari said...

शानदार...