Friday, November 11, 2011

'निर्मल स्याही..'






...


"लिखती है कलम..
जब कभी..
ह्रदय के ताल..

चख लेते हैं..
सुमन की गर्मी..
और..
प्रश्नों की नरमी..

झुरमुट प्रकाश में..
निर्मल स्याही से..
मिलना गले..
किसी दिन..

दर्शनाभिलाषी --

कुछ तरबतर अश्रु..
कुछ अपरिचित स्मृतियाँ..
और..
कुछ बूँदें..
निर्मोही तेल की..!!!"

...

10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विभूति" said...

bhaut hi khubsurat abhivaykti....

M VERMA said...

अलग अंदाज़ .. बेहतरीन भाव

Rakesh Kumar said...

क्या बात है प्रियंका जी.
खूबसूरत लगी आपकी प्रस्तुति.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

Er. सत्यम शिवम said...

प्रियंका जी...बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...लाजवाब।

SAJAN.AAWARA said...

kalam bahut kuch kahti hai...
sundar rachna..
jai hind jai bharat

shephali said...

बहुत खुबसूरत

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

Rakesh Kumar said...

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा प्रियंका जी.
आपका आना बहुत अच्छा लगता है.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राकेश कुमार जी..!!