Friday, November 18, 2011

'ये रतजगे..'





...


"ये रतजगे..
ये जन्मदिन के तोहफे..
होते कारवां शुरू तुमसे..
ये जिस्मों के रेले..

बेइन्तिहाँ मोहब्बत तुमसे..
बेशुमार सुर्ख बोसे..

सुनो जां..
करते हो ना..
तुम भी..
मेरे जैसे..
हर शब का इंतज़ार..!!!!"


...

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Yashwant R. B. Mathur said...

गजब का लिखा है।

सादर

Nidhi said...

प्रियंका...कोई अहमक ही होगा जो कि ...बेंतहा मोहब्बत से लबरेज....सुर्ख बोसों से गुलाबी हुए...जन्मदिन के तोहफे ...वो रतजगे ....भूलेगा कभी .

Prakash Jain said...

Wah, Adbhut....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!