Saturday, November 19, 2011

'सच..'

...


"झूठी रिवायतें..
फ़रेबी चाहतें..
यूँ भी..
सच बिकता कहाँ..!!!"

...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

ऐसी ही है...यह दुनिया ...इसमें ही जीना है और खुश भी रहना है

shephali said...

bahut khub

दिगम्बर नासवा said...

सच को खरीदने के लिए खरीदार नहीं मिलते आज ... क्या बात कही है ...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिगंबर नासवा जी..!!