Thursday, August 23, 2012

'रंग..'






...


"चाहत का तेरी..
रंग झड़ता नहीं..
मिटाऊं कितना..
ये धुलता नहीं..
कशिश ऐसी..
बढ़ती जाये..
चमक ऐसी..
चढ़ती जाये..
आओ..
गढ़ दो..
सिरे..
फिर से..
पहन तुझको..
हर शब..
खिल जाऊं..!!"

...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

RITU BANSAL said...

बहुत सुन्दर ..!

Nidhi said...

बहुत बढ़िया

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... क्या बात है ... उनका रंग चढ़े तो उतरता नहीं ....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ऋतू जी..!!

Nidhi said...

अच्छा लिखा है...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!