Friday, August 31, 2012

'चुपके-चुपके..'






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"हर लम्हा आँख नम कर जाते हो..
हर ख्वाब सज़ा कम कर जाते हो..१

पशेमां मौसम हुए जाते हैं..अब..
क्यूँ..तन्हाई में दम भर जाते हो..२

नूर से रंगी तस्वीर वो पुरानी..
फ़क़त..सांसों में जम* भर जाते हो..३

दर्द मचलता है चुपके-चुपके..
खामोशी से मुझमें रम जाते हो..४..

रिवायत-ए-मोहब्बत-ए-आलम..
दो गैरों को हम-दम कर जाते हो..५..!"


* जम = जाम..

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11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

mridula pradhan said...

bahot achchi lagi......

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 15/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Yashwant R. B. Mathur said...

पिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये खेद है
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कल 16/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मृदुला प्रधान जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

आभारी हूँ..!!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
:-)

nayee dunia said...

बहुत बढ़िया

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

बहुत खूबसूरत !
~तुम्हारी याद फूलों सी...
फक़त शबनम कर जाते हो..~

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रीना मौर्या जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उपासना सियाग जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अनीता जी..!!