Sunday, June 24, 2012
'प्रेम-पत्र..'
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"प्रिये,
जाते-जाते इक बहुमूल्य उपहार रख जा रहा हूँ..
बिछौने के नज़दीक दराज़ में..
विगत वर्षों के..
स्नेह-मिलाप के रस से सरोबार..
माधुर्य की चादर ओढ़े..
प्रेम-पत्र..
देखो, तनिक भी सिलवट न आये..
सम्बन्ध-विच्छेद में..
अक्सर..
गुड़-सी मीठी स्मृतियाँ..
अंतर्मन की दीवारें खट्टी कर जाती हैं.!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/24/2012 09:36:00 AM
10
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दास्तान-ए-दिल..
Thursday, June 21, 2012
'तहखाने..'
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"गुल सज़ाने हैं कई..
अश्क मंज़ाने हैं कई..१..
फ़क़त..जुर्म हैं साँसों का..
एहसास रज़ाने हैं कई..२..
शोखी निस्बत मौसम..
मसरूफ़ियत के फ़साने हैं कई..३..
नज़रें बेज़ुबां..सिरहन बेनक़ाब..
अदा के खज़ाने हैं कई..४..
क़त्ल-ए-आम दरिया हुआ..
कुर्बानी के तहखाने हैं कई..५..
चिकने ग़म-ए-हिजरां..
रफ्ता-रफ्ता गलाने हैं कई..६..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/21/2012 11:19:00 AM
3
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ग़ज़ल..
Sunday, June 17, 2012
'बहुत अच्छा लगता है.. है ना..'
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"बहुत सुंदर हैं..
आँखें तुम्हारी..
हर पल मुझे ही निहारतीं हैं..
वो तुम्हारा मुझे चुपके-चुपके मुझे देखना..
आते-जाते बस इक नज़र भर देखना..
वो आँखों के इशारे..
मेरे मना करने के बाद भी..
मुझे यूँ ही परेशां करना(प्यार करना)..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो आपके छोटे-छोटे से बाल..
जो मैं खींच भी नहीं पाती..
मेरे लिये गर्मी में भी लम्बे करने की कोशिश करना..
वो आपके बालों को बिगाड़ देना..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो आपका खुद को आते-जाते आईने में निहारना..
कभी दायें-कभी बायें..
कभी आगे-पीछे..
वो ऊपर से नीचे देखना..
और जाँचते ही मेरी तरफ देना..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो मेरी ख़ुशी के लिये..
'ग्रीन कलर' की टी-शर्ट पहनना..
धीरे-धीरे उसे पसंद करने लगना..
और अपने 'फेवरेट कपड़ों' में शामिल करना..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो हर सुबह पूछना..
'दूध पीया..??'....'एक ग्लास और पीयो..'..
वो दोपहर को खुद दो चम्मच होर्लिक्स वाला दूध लाना..
और कहना, 'चलो, जल्दी पीयो..!!'..'और लाऊं क्या..??'
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो मेरे लिये हर जगह..
बिना आलू-प्याज वाला खाना ढूँढना..
रेस्त्रो में मेरे साथ वो ही खाना..
जो मुझे पसंद हो..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो खाने की मेज़ पर..
मेरा आपके पैरों को धीरे से गुदगुदाना..
और आपका चुपके से मुस्कुराना..
मेरी ताल से ताल मिलाना..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
वो आपका और मेरा साथ..
आपका मुझे पकड़ आईने के सामने लाना..
फिर खड़े हो दोनों को निहारना..
और कहना..
'ऐसे अच्छे लगते हैं ना हम..?????'
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..
तेरा-मेरा संसार..
जीवन का आधार..
प्यारा-सा उपहार..
बहुत अच्छा लगता है..
है ना..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/17/2012 12:08:00 PM
9
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रूमानियत..
Friday, June 15, 2012
'गेंदे के फूल..'
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"एक दिन जब मैंने कहा था..
मेरे दिल को इंस्टाल करना है आपके ह्रदय-पटल पर..
आपने कहा था..
'प्यार के दायरे में आयेंगे दिल तो अपने आप ही sync हो जायेंगे'..
आज सोचती हूँ..
क्यूँ आपका और मेरा समय मैच नहीं करता..
क्यूँ आपके अंतर्मन में गेंदे के फूल की तरह नहीं बस पा रही..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/15/2012 06:25:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, June 13, 2012
'मियाद..'
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"पुराने दर्द अब पुराने हो चले..
हर ग़म की मियाद तय होती है..
है ना..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/13/2012 11:30:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..