Thursday, January 24, 2013

'हर पंक्ति..'





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"मेरी कविता की..
हर पंक्ति..
रची-बसी तुमसे..

सुबह की पहली लाली लिये..
चहकी तुमसे..

दोपहर की अल्हड़ वाणी लिये..
दहकी तुमसे..

शाम की मदमस्त रवानी लिये..
बहकी तुमसे..

रात की भीगी चाँदनी लिये..
महकी तुमसे..!!"

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