Tuesday, January 8, 2013

'अनकहे हर्फ़..'





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"चीर देना जिस्म मेरा..
रूह पे सदियों से तुम्हारा ही इख्तियार रहा..क्यूँ सुलगते हो इस जाड़े की बारिश में..आ जाओ, लपेट आँसुओं का फीता मेरे दिल की गिरह पर..!!!!
गाँठें पूरी शब खुलेंगी आज.. ले आना अपना फौलादी जिगर भी..!!!"


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----कुछ अनकहे हर्फ़ जो ता-उम्र जुबां में अटक ज़िन्दगी चुरा ले जाते हैं..हाँ, सच.....ज़िन्दगी..!!!

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