Wednesday, April 24, 2013

'बहते हर्फ़..'





...

"इक-इक क़तरा..
इक-इक साँस..

दफ़्न कर..
चल पड़ा..

खैरियत चाह..
दूरियां फैलायीं..

ना भूलूँगा..
दरिया-ए-शफ़क़त..

शुक्रिया तुम्हारा..
मेरी जां..

निभाया तुमने..
दोस्ताना हमारा..!!"

...

-- आग़ोश के दो पल..बहते हर्फ़..

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन



सादर

अरुन अनन्त said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (26-04-2013) के चर्चा मंच 1226 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

Tamasha-E-Zindagi said...

बेह्तारीन | बधाई

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..

priyankaabhilaashi said...


धन्यवाद अरुण शर्मा 'अनंत' जी..!!
आभारी हूँ..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद तुषार राज रस्तोगी जी..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मयंक साब..!!