Saturday, June 29, 2013

'सुनो..'




...

"सुनो..

तुम्हें पसंद है न..
बारिश की बूँदें..
रिसता प्यार..
और..
उसमें क़ैद दर्द..

तेरे जाने के बाद..
नहीं सुहाती बारिश..
रश्क़ है बूंदों से..

कुछ रोज़ हुए..
बाहर निकलती नहीं..
बारिश में..
बुलायें यादें कितना..!!"

...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!