Monday, August 5, 2013

'रंगों की टोली..'



...

"ज़िन्दगी की शान में गुस्ताख़ी हो जब कभी..
थाम लेना आके तुम वहीँ..
मुश्किलें सैलाब से लबरेज़ आएँगी बहुत..
गिरफ्त कस देना तुम वहीँ..
ज़ालिम होंगी रवायतें और स्याह उजाले..
जड़ देना छल्ले तुम वहीँ..
छाई हो वीरानी और फीकी रंगों की टोली..
मल देना चाहत तुम वहीँ..
मांगती हों मौहलत आंसुओं की बेनूरी..
चिपका देना नक्श वहीँ..
बरबाद हो आशियाना और नसीब बे-लिबास..
पिघला देना लज्ज़त वहीँ..!!"

...

0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..: