Wednesday, October 16, 2013

'प्रेम के अर्थ..'






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"क्या प्रेम में मिलना ही सब कुछ है..?? इसकी अनुभूति स्वयं में इतनी प्रबल है कि किसी और व्यक्ति या वस्तु विशेष का कोई स्थान शेष ही नहीं रहता..कोई रिक्तता का प्रश्न ही नहीं..!!! जाने क्यूँ..कुछ जन इस 'प्रेम' के इतने अर्थ कहाँ से ले आते हैं..??

वैसे भी, जीवन में पाना ही सब कुछ नहीं होता.. भोजन के स्वाद का सही माप तो दूसरे को चखा कर ही ज्ञात होता है.. है ना..??"

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--सिली पीपल..

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अरुन शर्मा अनन्त जी..!!

सादर आभार..!!