Monday, December 2, 2013

'अनुभूति का वरदान..'


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"गोलार्ध से बहता अथाह समंदर मेरे महासागर को नयी दिशा दे रहा है.. आओ, थाम लो मेरा समर्पित जीवन और संचालित होने दो जीवन-प्रणाली..!!! जानती हूँ..कि तुम ही जानते हो मेरी व्यथा..!!"

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--अनुभूति का वरदान..रख लो मान..

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति....