Monday, December 30, 2013
'धरती-माँ..'
...
"बहुत हुए 'जां' के नाम स्टेटस..आज कुछ अलग होगा..
'वज़ूद..पहचान..ईमान तुझसे है..
शुक्रगुजार हूँ..साँसें तुझसे हैं..
कतरा लहू का..बहा दूँगा..
मेरी शान..ए-वतन..तुझसे है..
पा तुझे ज़िन्दगी है पायी..
रवानी..कहानी तुझसे है..
मकां..दुकां..दो वक़्त रोटी..
चादर-ए-इनायत तुझसे है..
गुरूर क्या करूँ झूठे तन पे..
क़फ़न की दरकार तुझसे है..
पेशानी पे माटी सजे..भारत-माँ..
हर शै की आज़ादी तुझसे है..!!'
धरती-माँ की शान में यूँ ही कुछ शब्द..!!"
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कृपया बहर..रदीफ़..मतला..मीटर..सब को आराम करने दीजिये आज.. :-)
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देश-प्रेम..
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देश के लिए इस जज़्बे को सलाम... सुन्दर कविता। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं..
धन्यवाद पारुल चंद्रा जी..
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