Tuesday, January 21, 2014

'जां..'







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"बिखरा है रंग तेरा..हर शै पे जानिब.. इन दिनों बहुत बोलता हूँ मैं..'जानिब'..!!! अब 'जां' बोलने से डरता हूँ..इक तुमपे ही मरता हूँ..!!

अब सब बेज़ार-सा है..
तुम्हें भी इंतज़ार-सा है..??

जाने देते हैं सब बातें..फ़ायदा क्या उस मचान का जहाँ साथ रुक न सकें..!!"

...


--संडे ग्लोरी..

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढिया...लाज़वाब...