Friday, February 28, 2014

'बिखरना चाहती हूँ..'






...

"क्यूँ साँसें फूँक देते हो..जब हारना चाहती हूँ..
क्यूँ बाँहों में भर लेते हो..जब बिखरना चाहती हूँ..!!"

...

--वीकेंड ड्रामा.. ;-)

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

अद्भुत अहसास...!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!