Tuesday, February 4, 2014

'लोकेशन चेंज..'





...

"सुनो जां..
लोकेशन चेंज करते हैं..
दरिया छोड़ यहाँ चलते हैं..

हर तरफ बर्फ़ की चादर..
नर्म रहेगा जिस्मों का फ़र..

अलाव ख़ुद जल जाएगा..
हमको रूमानी बनाएगा..

स्नो-फ्लेक्स गुदगुदायेगी..
देखना, उंगलियाँ कुनकुनायेंगी..

थाम लेंगे बोझिल साँसें..
लिख देंगे बेशुमार आयतें..

इक नुमाइश *मुक़य्यद..
इक शब मुकम्मल..

मैं आवारा**नक्शगर
तू ***रंगबस्त-ए-मोहब्बत..

चलो..फिर..
पैक करो..

इक जिस्म..
इक रूह..
इक साँस..
इक प्यास..!!"

...


*मुक़य्यद = बंदी/कैदी..
**नक्शगर = चित्रकार..
***रंगबस्त = पक्का रंग..

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