Monday, March 24, 2014

'वाज़िब दूरियां..'






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"कितना कुछ कहती रही..
जाने क्या सहती रही..

ख़ामोश रूमानियत..फ़क़त..
दरिया-सी बहती रही..

वाज़िब दूरियां..बन लहू..
साँसों में रहती रही..!!"


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6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Mithilesh dubey said...

गहरे भाव समेटे लाजवाब रचना। बधाई।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

वाह...बहुत उम्दा पोस्ट...
नयी पोस्ट@चुनाव का मौसम

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मिथिलेश दुबे जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद प्रसन्ना बडन चतुर्वेदी जी..!!

संजय भास्‍कर said...

wah :) kabhi humare blog par aayen

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!