Tuesday, April 8, 2014

'दुआओं का अंबार..'



...


"पल वो सारे..
तैरते हैं प्यारे..
थपकी वो दुलारी..
तेरी अदा निराली..
नटखट बेटू मेरा..
लगा साँसों पे डेरा..
मस्ती भरपूर थी..
ज़िंदगी नूर थी..

तेरी ख़ामोशी सालती है..
सपना वापसी का पालती है..
क्यूँ गया वक़्त..फिर आता नहीं..
दामन-ए-उम्मीद जाता नहीं..

काश..
भर सकता तेरे लिए..
दुआओं का अंबार..

पर..
कुछ एहसासों को आराम नहीं मिलता..
सच है..
उन अपनों को..सबके आगे नाम नहीं मिलता..!!"

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7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Sadhana Vaid said...

बहुत की नाज़ुक खूबसूरत से अहसास ! बहुत सुंदर !

Nayank Patel said...

सच है , कुछ एहसासों को आराम नहीं मिलता

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद साधना वैद जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद नयंक पटेल जी..!!

संजय भास्‍कर said...


बिलकुल सच!! छू गयी ये रचना..
शुभकामनाएं

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!