Sunday, June 29, 2014

'उत्सव..'







...

"स्नेह की गाढ़ी चाशनी में पका..
मतभेद की सिगड़ी पर..

अपनत्व की मरहम..
और प्रेम की बौछार..

विश्वास का अनंत सागर..
आकाशगंगा-सा घनत्व..

सूत-सा आरामदायी..
फौलाद-सा निष्ठावान..

तुम्हारी मित्रता का..
ये लाल धागा..
मेरी कलाई को संवारता रहेगा..
हर उत्सव में..!!"

...

--मेरे घनिष्ठ मित्र..तुम मेरे जीवन का अभिन्न अंग हो.. <3 <3

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

shephali said...

मित्रता जीवन का एक अमूल्य रिश्ता है
सुन्दर रचना

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दर रचना

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!