Thursday, October 16, 2014

'बेशकीमती..'





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"कुछ नॉर्मल चीज़ें यूँ ही बेशकीमती कैसे बन जातीं हैं..

उनका भेजा हुआ पैन अब तलक लॉकर में रखा है..!! स्याही भी साथ खूब निभाती है...कुछ आठ साल हुए होंगे..अभी भी जिंदा है..रवानी उसकी..!!"

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--दिल भी एक 'ग्लोबल' मुज़रिम है..जानेमन..<3

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

एक एक शब्द रग में समाता हुआ..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी..!!

सादर आभार..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

Unknown said...

Ati sunder ji :)