Monday, April 6, 2015

'खंज़र उठाओ..'

#जां



...

"तुम क़त्ल लिखती हो..
तुम नज़्म लिखती हो..
जाने कैसे..
तिलिस्म गढ़ती हो..

तुम आह भरती हो..
तुम चाह भरती हो..
जाने कैसे..
साँस पढ़ती हो..

तुम दर्द चखती हो..
तुम रूह चखती हो..
जाने कैसे..
वीरानी चढ़ती हो..

लबरेज़ हूँ..
खंज़र उठाओ..
ख़ानाबदोश हूँ..
गिरफ़्त बढ़ाओ..!!"

...

--जां..मेरी जां..<3

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

mohan intzaar said...

bahut sunder bhav

शब्द प्रवाह said...

सुंदर भाव कलात्मक प्रयोग....

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद मृदुल जी..!!

संदीप सृजन said...

बहूत खूब

priyankaabhilaashi said...

सादर आभार संदीप भैया..!!