Thursday, April 23, 2015

'मेरी पुस्तक..'


#विश्व पुस्तक दिवस..

...

"मेरी पुस्तक तुम से प्रारम्भ हो..तुम पर ही समाप्त होगी.. जानते हो तुम भी..

मेरी अंतरात्मा की गतिशीलता तुम्हारे प्रत्येक पृष्ठ पर अंकित है..तनिक पृष्ठ संख्या ११६ देखो..विरह की रात्रि का विलाप पुकार कर रहा है..

पृष्ठ ८ पर जड़ है..मेरा विलय..

पृष्ठ संख्या ११ सुना रही है..मेरे पृथक-पृथक होने का मंगल-गान..

पृष्ठ संख्या ३ पर चिन्हित तुम्हारा प्रथम स्पर्श..भोज-पत्र बन अमर हो चला है..

पृष्ठ संख्या ७ का स्वर उल्लासित है..सौम्यता की परिधि से..

और.. पृष्ठ २०१ हमारा संयुक्त परिश्रम है..जिसका लाभांश पल-प्रतिपल अपना मूल्य बढ़ाता जाता है..

पृष्ठ संख्या ३१ की रश्मि..चाँदनी-सी महक रही है..

आओ..प्रस्तावना के पृष्ठ पर अगाध प्रेम-गाथा की अमिट छाप लगा जाएँ..!!"

...

--#जां..मेरे जीवन-उपन्यास के एकमात्र केंद्र-बिंदु..

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anonymous said...

बहुत खूब।

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद मयंक साब..

सादर आभार..!!

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद The Vadhiya जी..!!

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद कहकशां खान जी..!!