Thursday, July 16, 2015

'अ टोस्ट टू आवर लव..'






...

"ग़म की बिसात थी..
प्यादे आँसू से लबरेज़..

घोड़ा ढाई मुट्ठी नमक लाया..
ऊँट टेड़ी चाल से ख़ंज़र घोंप गया..

बेचारा हाथी..मजबूर था..
सीधे-सीधे लफ़्ज़ों से क़त्ल करता गया..

वज़ीर को तो महफूज़ रखना था..
सो..आनन-फ़ानन में..
रिश्तों का समंदर डुबो आया..

रानी..टूटी-बिखरी..
गुज़ारिश करती रही..
अपने मसीहा को पुकारती..
उसे पाने की चाह..
हर मकसद से ऊपर..

आसमां से तारे चटकते हैं..

आज भी..
घुलती रही..साँसों में..
प्लैनेट्स की पोजीशन चेंज वाली पेंटिंग..
जलतरंग पे बजता..रूह चीरने वाला राग..

मैं मदहोश..
अपने रेशों से सहलाता..
इस ६४ बाय ६४ के आवारा खाने..

पाट सकते..शायद..
ये ग़म के पुल..
लहुलुहान परछाई..

रूह के पन्ने..
ज़ालिम हैं बहुत..!!"

...

--अ टोस्ट टू आवर लव..जां..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

यू ही 'प्यार'...
कितना प्यारा है ये शब्द....
“प्यार.......”!!

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद..संजय भास्कर जी..!!