Friday, October 6, 2017

'जस्ट माइन चाँद..'





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"लिखने के अपने रीज़न्स रहे हैं..
हमेशा से..

चंद लम्हों को..
गुज़ारिश की छूट नहीं..
रूमानियत का हैंगओवर..
दिल को तड़पाता क्यों है..

कुछ अनकहे-अंहर्ड सीक्रेट्स..
बेवज़ह पलते रेशमी रात..
फैसिनेशन के हनी-ट्रैप में..
पूर्णिमा की शीतलता घुल गयी..

तुम्हें बचपन से बैंचमार्क मान..
कितने लफ्ज़ तराशे..
कितने ऑफबीट थॉट्स को..
रूह के बेसमैंट में..
फुल-स्विंग आज़ादी दी..

आज लाइफ के..
जिस क्रॉसरोड ने..
बेहिसाब तन्हाई के मटेरियल दिए..
तुमने सिर्फ़ साथ रहने का..
कमिटमैन्ट ऑफलोड किया..

हाँ..
आई एक्सेप्ट दिस ट्रूथ..
यू हैव बीन माय फर्स्ट लव..

और..हाँ..
तुम ही रहोगे..
ता-उम्र..
जिसे देख मेरी हार्टबीट स्किप हो..
मेरे प्यारे..
माइन..जस्ट माइन..
शरद के चाँद..<3!!"

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--रोमांस की एक कथा..चाँदनी की रज़ा..

'मुहब्बत के पैमाने..'




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"जिस्म पे तेरे..
निशां जितने..
मुहब्बत के..
पैमाने उतने..

लकीरों के खेल..
सजते जहाँ..
मुझे पाना..
एकदम वहाँ..

रवायत-ए-नज़्म..
चुका आते हैं..
चल आज फिर..
लफ्ज़ गहराते हैं..

मतला-रदीफ़..
कौन जाने..
तेरी आगोश..
इक मुझे पुकारे..

दरमियां ख़लिश..
इक मौज़ूद..
ख़ुमारी बेपनाह..
मेरे महबूब..

आवारगी के..
डेरे में..
हम-तुम..
उस घेरे में..!!"

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--दास्तान-ए-मोहब्बत..