Saturday, June 12, 2010

'इनायत-ए-माज़ी..'


...

"कलम खुद-ब-खुद..
तस्वीर लहकाती रही..१

साँसे खुद-ब-खुद..
आँगन महकाती रही..२

मदहोशी खुद-ब-खुद..
कसक दहकाती रही..३

मियाद खुद-ब-खुद..
नूर चहकाती रही..४


इश्क-ए-दीदार..
इनायत-ए-माज़ी..!"

...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Unknown said...

बेहतरीन रचना....सुन्दर, सार्थक व सशक्त रचना हेतु बधाई।

दिलीप said...

waah bahut khoob....lajawaab rachna

संगीता पुरी said...

वाह .. बहुत खूब !!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उम्मेद जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलीप जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता पुरी जी..!!