Monday, June 14, 2010

'हम ना होंगे..'


...

"हसरतों में दबे..
मंजिल के निशां..
चाहतों के मेले..
कम ना होंगे..

अफ़सोस..


हम ना होंगे..!!"

...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

दिलीप said...

oh maarmik.. badhiya ...

nilesh mathur said...

बहुत मार्मिक!

Unknown said...

नमस्ते,

आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

Udan Tashtari said...

अफसोस!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद निलेश माथुर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद इन्डली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद जनदुनिया जी..!!