Tuesday, December 21, 2010
'मौसम-ए-मोहब्बत..'
...
"कहते हैं..
फ़ासिल..
मौसम-ए-मोहब्बत होता है..
वो क्या जानें..
रूह के दरीचे का..
कभी रंग होता है..
भीगतीं हैं..
आरज़ू की कश्तियाँ..
क्या साहिल का..
कोई *मुहाफ़िज़ होता है..
जज़्बातों को लुटाना..
बाज़ी नहीं तमाशाबीनों की..
हौसला **रानाई-ए-ख्याल में होता है..!!"
...
#मुहाफ़िज़ = Guard/Guardian..
*रानाई-ए-ख्याल = Tender Thoughts..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/21/2010 05:13:00 AM
5
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
Monday, December 20, 2010
'काश..'
...
"काश..
लम्हों को समेट सकते..
काश..
गुज़रा वक़्त जी सकते..
कुछ 'काश'..
आकाश हो सकते..
काश..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/20/2010 10:32:00 PM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बस यूँ ही..
Saturday, December 18, 2010
'फ़लक-ए-महबूब..'
...
"तबस्सुम मौज़ पर..
तैरती है..
जब कभी..
चेहरा तेरा..
मेरे हमदम..
नूर-ए-हुस्न..
अख्तर-सा..
निखर जाता है..
सच कहा था..
फ़ासिलों ने..
नामुमकिन है..
फ़लक-ए-महबूब..
फ़ना ना होना..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/18/2010 04:55:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Friday, December 17, 2010
'अजीब प्रश्न..'
...
"अजीब प्रश्न किया उन्होंने..
पूछा..
'क्या तुम हँसती हो..?'
कौन समझाए भला..
ऐसी बातों पर अवश्य ही..
मांसपेशियों को आराम नहीं देते..
दबदबाती..शर्माती आँखों से कहा..
'जी..'
'सुनिए..क्या आप शर्माती हैं..?'
यूँ दौड़ता हुआ इक विचार आया..
'क्या यह महानुभाव विवाह करेंगे..
या जीवन-भर व्यंग से निर्वाह करेंगे..?
हाथी के दाँत..खाने के और..दिखाने के और..
सामाजिक परिवेश भी क्या-क्या रंग दिखलाते हैं..
जीवन के महतवपूर्ण प्रसंग में चले आते हैं..
कितने अजीब यह दिल के बहुरूपी नाते हैं..'..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/17/2010 07:18:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
हास्य..
'धन्य हुआ..'
...
"धन्य हुआ जीवन..
तुम जैसा गुरु पाया..
अनाथ था स्वामी..
तुमने ही पार लगाया..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/17/2010 06:57:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
गुरुजन..
'माँ..'
...
"तेरे हाथों की बरकत..
तेरी दुआओं की शफ़क़त..
तेरी पाक़ इबादत..
तेरे तब्बसुम की क़ायनात..
*कामरां हुआ..
जिस रोज़ दामन..
जुड़ा पहलू से..!!!"
...
*कामरां = Blessed/Fortunate..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/17/2010 06:26:00 AM
5
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
माँ..
Monday, December 13, 2010
'स्वप्न-धारा..'
...
"ठिकाना तलाशती कठोर सच्चाई..
जीवन-यापन की पुरानी लड़ाई..
विजयी होंगे..कहती स्वप्न-धारा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/13/2010 02:35:00 AM
3
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
'यारों का साथ..'
...
"तन्हाई के घेरे..
खूबसूरत रंग..
यारों का साथ..
महके हर नफ्ज़..
मज़बूत जज़्बात..!! "
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/13/2010 12:03:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दोस्ती..
Sunday, December 12, 2010
'स्मरणीय खजाना..'
...
"हम वादा निभा रहे हैं..
दम अपना लिखा रहे हैं..
रखना तिजोरी में सहेज..
स्मरणीय खजाना दिखा रहे हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/12/2010 11:26:00 PM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
प्रेरणादायी सन्देश..
'जागना है..'
...
"ऊँची अट्टालिकायें..
देती सन्देश..
जागना है..
हे बंधू..
तोड़कर सारे भेष..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/12/2010 11:14:00 PM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
प्रेरणादायी सन्देश..
'आभारी हैं..'
...
"हमराही उपवन के..
घनिष्ठ मित्र..
सुलभ जीवन के..
आभारी हैं..
ज्ञान-सागर के..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/12/2010 11:08:00 PM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
उपकार..
'शान-ओ-शौकत..'
...
"उम्मीदों का कूचा..
बदलता है..
जब कभी..
शान-ओ-शौकत..
दिखाते हैं..
ख्वाब कई..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/12/2010 10:59:00 PM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
Saturday, December 11, 2010
'एक स्वतंत्र विचार..'
एक 'नैट फ्रेंड' को समर्पित..जिनसे यह लिखने की प्रेरणा मिली..
...
"जिसने दिया जितना दाना..
उसका घरौंदा उतना लिया..
कभी इस डाल तो कभी उस डाल..
हर क्षण किसी का शरणा लिया..
राही हूँ..पंथी हूँ..ना कोई ठिकाना..
जो राह मिली..बस चल लिया..
ना किसी नगर की सीमा..
ना किसी देश की तारबंदी..
मानवता की पूँजी हूँ..
रज़ में लोट-पोट..
जीवन का #धरना किया...
संचय करो..या करो प्रवाहित..
अमर हूँ..अमूल्य हूँ..
किया समृद्धशाली..
जिसने मेरा वरना* किया..
गंगा-सा समर्पित..
हिमालय-सा अविचल..
शूरवीरों-सा साहसी..
वीरांगनाओं-सा अडिग..
किया न्योछावर स्वयं को..
जीवन **तरना दिया..
एक डोर में..
पिरो सुसज्जित..
रखना सदैव..
अंतर्मन के समीप..
'विचार' हूँ मैं..
'एक स्वतंत्र विचार'..!!"
...
#धरना = पहचान देना..
*वरना = वरन करना/पहनना..
**तरना = पार लगवाना..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/11/2010 07:29:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
उपकार..
'नक़ाबी खंज़र..'
...
"जो कहूँ तुझसे रंजिश नहीं..बगावत होगी..
बस्ती-ए-रूह..फरेबियों की वकालत होगी..
तमाशा खूब करते हैं..नक़ाबी खंज़र..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/11/2010 03:10:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
Wednesday, December 8, 2010
' मोहब्बत-ए-नासूर..'
...
"साँसों के शोर में जमती थीं..ज़िन्दगी थोड़ी अजीब..
लम्हों के जोड़ में थमती थीं..ये आहें थोड़ी करीब..
मोहब्बत-ए-नासूर सुलगे शब-भर..जज़्बातों के दामन..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/08/2010 12:57:00 AM
7
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
Saturday, December 4, 2010
'दम-साज़..'
एक बहुत पुरानी रचना अपने पुराने रंग में प्रस्तुत है..
...
तुम रस-भरी सौगात..
जीवन की मिठास..
दर-ब-दर ढूँढता रहा..
फ़क़त तेरा लिबास..
कोई तुझ-सा कहाँ..
जगा जाए जो एहसास..
तुम सुबह-सी उजली..
शाम-सी ख़ास..
क्या बनोगी तुम..
मेरी दम-साज़..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/04/2010 05:40:00 AM
8
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रूमानियत..
Wednesday, December 1, 2010
'स्वप्न..'
...
"कभी हौले से..कभी तेज़ क़दमों से..
आहट होती है..तेरे मुस्कुराने से..
स्वप्न मिश्री-से सफ़ेद हो जाते..काश...!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/01/2010 10:34:00 PM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
'सुख-दुःख की चमचम..'
...
"थक कर..हार कर..थाम लूँ कदम..
मुश्किल है..संभालना मेरा दमखम..
रखता हूँ..शौर्य..बल..साहस..करुणा..
व्यर्थ है फैलाना..सुख-दुःख की चमचम..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/01/2010 06:39:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
रुबाई..