Monday, August 27, 2012

'खंज़र..'




...

"घोंप दो..
खंज़र कितने..
ना लहू बहेगा..
ना आँसू..
ता-उम्र खुदा रहेगा..
इक चेहरा तेरा..
धज्जी-ए-वजूद..
उड़ाने वाले..!!

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiya

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रश्मिप्रभा जी..!!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब .. कुछ चीजें जीते जी जाती नहीं ... लाजवाब ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज बहुत दिनों के बाद तुम्हारे ब्लॉग पर आना हुआ .... बहुत सारी पोस्ट एक साथ पढ़ गयी .... बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति हैं ...