प्यार जिद्दी न हो..तो मज़ा कहाँ
बहुत सुंदर ....रीत जाता है .... की जगह यदि भिगो जाता है होता तो शायद ज्यादा सुंदर भाव बनाते .... बचाने की कोशिश के बाद तो भीगना ही बनाता है न
धन्यवाद संगीता आंटी..यूँ ही आपका मार्गदर्शन मिलता रहे..!! अभी ठीक करती हूँ..!
Wah! Sundar!! :)
धन्यवाद मधुरेष जी..!!
.क्या बात है इसे कहते हैं गागर में सागर !बहुत बहुत ख़ूबसूरत कविता के लिए बधाई !!
धन्यवाद राजेन्द्र स्वर्णकार जी..!!
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प्यार जिद्दी न हो..तो मज़ा कहाँ
बहुत सुंदर ....
रीत जाता है .... की जगह यदि भिगो जाता है होता तो शायद ज्यादा सुंदर भाव बनाते .... बचाने की कोशिश के बाद तो भीगना ही बनाता है न
धन्यवाद संगीता आंटी..
यूँ ही आपका मार्गदर्शन मिलता रहे..!! अभी ठीक करती हूँ..!
Wah! Sundar!! :)
धन्यवाद मधुरेष जी..!!
.
क्या बात है इसे कहते हैं गागर में सागर !
बहुत बहुत ख़ूबसूरत कविता के लिए बधाई !!
धन्यवाद राजेन्द्र स्वर्णकार जी..!!
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