Thursday, June 26, 2014

'प्यार..'






...


"प्यार..
लफ्ज़ ख़ूबसूरत है..

बहता..बढ़ता..
दर्द की चट्टानों से लड़ता-झगड़ता..
इक तेरी छुअन को तरसता..
पग-पग महकता..
दरिया-सा बहकता..
चाशनी की तार-सा पकता..
विरह की रात में सुलगता..
उल्फ़त को ओढ़ता..
देह को रूह से जोड़ता..

मुझे तुम्हारी गिरफ़्त में बाँधता..
पोर की गर्माहट मापता..
धड़कनों को जाँचता..

और..
और..

तुम कहते हो..
मैं नहीं जानता..
११६ चाँद की रातें..!!!"

...


--वीकेंड का ख़ुमार..चढ़ रहा..

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना शनिवार 28 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

shephali said...

116 चाँद की रातें....
वाह बहुत सुन्दर

priyankaabhilaashi said...

सादर आभार यशोदा अग्रवाल जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

Unknown said...

bahut hi khoobsurat rachna

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद स्मिता सिंह जी..!!