Sunday, June 29, 2014

'झिलमिलाते सितारे..'






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"बादलों की ओट में झिलमिलाते सितारे..
रात्रि का दूसरा प्रहर..

हाथों में हाथ..
दरिया किनारा..

तेरी छुअन का नशा..
रोम-रोम खिलता जिस्म..

मिट्टी का लेप..
बोसे का काफ़िला..

गिरफ़्त साँसों की..
सुकूं आहों का..

बहुत ज़ालिम हैं..आप..!!"

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--वीकेंड वाली रूह..

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