Friday, January 23, 2015

'बाम..'




...

"रंज़िशों को आराम दे देते हैं..
आ..
चाँद को बाम दे देते हैं..

मलता रहेगा..
दीवारों पे अपनी..

रंगीं थीं..
कभी..
रंगरेज़ ने..

उस स्याह रात की..
बेहिसाब चीखों में..!!"

...

1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

कई समीकरणों को छूती सुन्दर रचना!